संसद में स्थायी समिति और तदर्थ समिति के बीच अंतर स्पष्ट​

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Answer:

वित्‍तीय समितियां, विभागों से संबद्ध स्‍थायी समितियां (डीआरएससी) तथा कुछ अन्‍य समितियां स्‍थायी समितियों की श्रेणी के अंतर्गत आती हैं। तदर्थ समितियां किसी विशिष्‍ट प्रयोजन के लिए नियुक्‍त की जाती हैं और जब वे अपना काम समाप्‍त कर लेती हैं तथा अपना प्रतिवेदन प्रस्‍तुत कर देती हैं, तब उनका अस्‍तित्‍व समाप्‍त हो जाता है।

संसद में स्थायी समिति और तदर्थ समिति के बीच अंतर:

व्याख्या:

  • संसद की समितियों को संसद के जटिल और विशाल कार्य का एक आवश्यक सहायक माना जाता है क्योंकि वे संसदीय कार्य को सुचारू, समय की बचत और शीघ्रता से करती हैं।
  • वे नियमित रूप से सरकारी गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण रखते हैं।
  • संसदीय समितियाँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं।
  • स्थायी समितियां और तदर्थ समितियां। स्थायी समितियों का गठन हर साल या बार-बार किया जाता है और वे निरंतर आधार पर काम करती हैं।
  • तदर्थ समितियां अस्थायी होती हैं और विशिष्ट कार्य के लिए बनाई जाती हैं। एक बार जब वह कार्य पूरा हो जाता है, तो तदर्थ समितियों का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।
  • आम तौर पर तदर्थ समितियां विधेयकों पर चयन/संयुक्त समितियां और रेलवे कन्वेंशन समिति होती हैं।
  • इसके अलावा, लोकसभा नैतिकता, एमपीलैड्स और कंप्यूटर पर समितियों को तदर्थ समितियों के रूप में वर्गीकृत करती है।
  • तदर्थ समितियों में जांच समितियां, विधेयकों पर संयुक्त और चयन समितियां आदि शामिल हैं।

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