Subject:
Political ScienceAuthor:
sagerangelCreated:
1 year agoAnswer:
गाँधी का मत था स्वराज का अर्थ है जनप्रतिनिधियों द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था जो जन-आवश्यकताओं तथा जन-आकांक्षाओं के अनुरूप हो।'' वस्तुत: गांधीजी का स्वराज का विचार ब्रिटेन के राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, ब्यूरोक्रैटिक, कानूनी, सैनिक एवं शैक्षणिक संस्थाओं का बहिष्कार करने का आन्दोलन था।
Author:
navarroybo9
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0गांधीजी के स्वराज का आशय यह था कि वह उन्होंने जिस स्वराज की परिकल्पना की थी, उस स्वराज का केंद्र गाँव में केंद्रित था। वह भारत के गाँवों में स्वराज को असली स्वराज मानते थे।
व्याख्या :
गाँव गाँव की स्वायत्तता व स्वावलंबता तथा ग्राम-प्रबंधता को असली स्वाराज स्वराज मानते थे। उनकी दृष्टि में गांव की संपन्नता में ही देश की संपन्नता है। गांधी जी स्वयं मांगते थे असली भारत गाँवों में बसता है, इसलिए जब तक गाँव में स्वराज व स्वशासन नहीं होगा तब तक स्वराज की परिकल्पना सही रूप से साकार नहीं होगी। उनके अनुसार निर्धनों का स्वराज हो, जो दीन-दुखियों के कल्याण के लिए प्रेरित करें, वही स्वराज है। गाँधी जी स्वराज को सत्ता के विकेंद्रीकरण को अर्थात गाँव में स्वराज को असली स्वराज मानते थे।
Author:
roy9x1d
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