झाँसी,
दिनाँक : 21 मार्च, 20XX
श्री परम पूज्य पिताजी,
सादर प्रणाम।
मैं यहाँ कुशल हूँ। विश्वास है कि आप तथा परिवार के अन्य सभी सदस्य भी सुखी और आनन्द में होंगे।
आप का स्नेह पूर्ण पत्र मिला, पत्र में आपने मेरी पढ़ाई की प्रगति के सम्बन्ध में पूछा है। इस विषय में निवेदन है कि मेरी पढ़ाई भली प्रकार से आरम्भ हो गई है। मैं नियमित रूप से अपना दैनिक कार्य पूरा कर लेता हूँ, जिससे मुझे सितम्बर मास में होने वाली त्रैमासिक परीक्षा में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होने की पूर्ण आशा है।
आपने जो पिछले माह मुझे ३०० रुपये भेजे थे उन पैसों को मैंने व्यर्थ की चीजें खरीदने में खर्च कर दिये जिसका मुझे अत्यंत दुख है जिसके लिए मैं क्षमा मांगता हूँ |
एक निवेदन और, इन दिनों मुझे कुछ नई पुस्तकें, कापियाँ, पेंसिल, स्याही आदि लेनी है और कुछ नए बस्त्र भी बनवाने हैं। जिसमें लगभग दो सौ रुपये खर्च होंगे। अतः आप शीघ्र ही उक्त धनराशि मनीआर्डर से भेजने की कृपा करें।
पूज्य माता जी को प्रणाम तथा छोटे बहनों को चिरंजीव कहें। शेष शुभ।
आपका आज्ञाकारी पुत्र
कमलेश
Author:
lisafoley
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