Answer:
1.अपंगता की पीड़ा दर्शाने के लिए दूरदर्शन वाले, दूरदर्शन के परदे पर एक फूली हुई आँख की बड़ी तस्वीर तथा अपाहिज व्यक्ति के होठों की कसमसाट अर्थात् कहने और न कहने की पीड़ा से उत्पन्न उस व्यक्ति के चेहरे की स्थिति को दिखाते है। वस्तुतः वे ऐसा पीड़ा को अधिक प्रदर्शित करने के लिए करते हैं।
2.यह कथन कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ता का है, जो तकनीकी निर्देश देते हुए कहता है कि उसे अपाहिज व्यक्ति और दर्शको, दोनों को ही एक साथ रुला देना है। अपाहिज व्यक्ति अपनी पीड़ा के कारण और दर्शक उसकी पीड़ा से प्रभावित होकर रो देगे, तभी कार्यक्रम को व्यावसायिक दृष्टि से सफल एवं लोकप्रिय माना जाएगा।
3.'परदे पर वक्त की कीमत है', ऐसा कहकर कार्यक्रम को प्रस्तुत करने वाला बताना चाहता है कि वह कितने महत्त्वपूर्ण संचार माध्यम में कार्य कर रहा है। समय की कमी टेलीविजन के महत्त्व को सूचित करती है। यह भी अपाहिज व्यक्ति और दर्शको, दोनों को ही उस क्रूरता से अनजान रखने का एक आकर्षक ढंग है, जो कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्त्ता, दूरदर्शन वालों द्वारा आपाहिज व्यक्ति के साथ पर्दे की आड़ में की जा रही है।