नायिका गदल का चरित्र चित्रण इस प्रकार है:
गदल कहानी में ग्राम जीवन का चरित्र चित्रण है I गदल अपने पति गुन्ना की मृत्यु के बाद खारी गुजर जाति की होने के बाद भी अपने से कम उम्र के लौहारे गुजर मौनी से व्याह करके उसके घर जाती हैI इससे खारी गुजर जाति मे कोलाहल मच जाता हैI बेटों – बहुओं वाली गदल के इस कृत्य से उसके परिवार की बड़ी बदनामी भी होती है।
गदल की चारित्रिक संरचना बहुत पारदर्शी है. जो अंदर है, वही एक ईमानदार अभिव्यक्ति के साथ बाहर भी है. दुराव-छिपाव और छल गदल से कोसों मील दूर है. इसलिए लेखक को रुककर, किन्हीं कथा-युक्तियों की मदद लेकर उसके व्यक्तित्व की सूक्ष्म परतों को उभारने की मेहनत नहीं करना पड़ता है.
गदल कहानी कि विशेषता है कि यह हिंदी साहित्य को अपनी दृढ़ता-कर्मठता और इच्छाओं से संचालित जैसा वर्जनाहिन स्त्री चरित्र देती है वैसा मित्रों मरजानी कि मित्रों के अतिरिक्त अन्यत्र दुर्लभ है। जो भीतर है, वहीं एक ईमानदार अभिव्यक्ति के साथ बाहर भी हैं
'गदल' कहानी का केन्द्रीय तत्व है प्रेम, जो आत्मपीड़न, समर्पण और उत्सर्ग की चिरपरिचित युक्तियों के साथ कहानी में विकसित होता चलता है. लेकिन इस प्रेम की रंगत 'उसने कहा था' और 'आकाशदीप' जैसी कहानियों से पूर्णतया अलग है. यह एक खास बड़बोलेपन के साथ प्रेम की उपर्युक्त तीनों विशिष्टताओं में अपने होने का आभास कराता है.
रांगेय राघव के ग्यारह कहानी संग्रह हैं जिनमें ८३ कहानियाँ संकलित हैं. गदल उनकी सर्वश्रेष्ठ कहानी में से एक है.
रांगेय राघव हिंदी के ऐसे कथाकार हैं जो कहानी के परिवेश और भाषा पर बहुत कड़ी मेहनत करते थे.