Subject:
Political ScienceAuthor:
nasirmejiaCreated:
1 year agoAnswer:
धर्मनिरपेक्षता एक जटिल तथा गत्यात्मक अवधारणा है। इस अवधारणा का प्रयोग सर्वप्रथम यूरोप में किया गया।यह एक ऐसी विचारधारा है जिसमें धर्म और धर्म से संबंधित विचारों को इहलोक संबंधित मामलों से जान बूझकर दूर रखा जाता है अर्थात् तटस्थ रखा जाता है। धर्मनिरपेक्षता राज्य द्वारा किसी विशेष धर्म को संरक्षण प्रदान करने से रोकती है।
भारत में इसका प्रयोग आज़ादी के बाद अनेक संदर्भो में देखा गया तथा समय-समय पर विभिन्न परिप्रेक्ष्य में इसकी व्याख्या की गई है।
Explanation:
Author:
remy6e6f
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0Answer: धर्मनिरपेक्षता सिद्धांत का जन्मदाता यूरोप है। यदि पश्चिमी पहलू की बात आती है तो सबसे पहले यूरोप ही दिमाग में आता है। यहां से यह अवधारणा शुरू होते हुए पूरे विश्व के देशों में फैली है,और आज कई देश इस अवधारणा को अपना रहे है।
Explanation: धर्मनिरपेक्षता सिद्धांत के अनुसार कोई भी देश किसी एक धर्म को नही मानेगा या उसका प्रचार प्रसार नही करेगा। देश सारे धर्मों को समान इज्जत देकर कोई असमानता नही करेगा।
Author:
lefty6qod
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