वर्तमान समाज में नारी का योगदान कुछ इस प्रकार है:
नारी शक्ति के बिना इस संसार में मनुष्य कुछ भी नहीं कर सकता है क्योंकि बिना नारी शक्ति उसकी दशा बिना इन्जन वाली गाड़ी जैसी होती है। इस धरती पर सबसे पहले नारी शक्ति के रूप में माँ दुर्गा भवानी का अवतरण हुआ है। नारी शक्ति की ही अगुवाई व निर्देशन में ब्रह्मा विष्णु और महेश की उत्पत्ति हुयी और नारी शक्ति की ही देखरेख में ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना शुरू की।
नारी शक्ति को अगर इस सृष्टि का मूल कहा जायेगा तो कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी। यहीं कारण है कि नारी को शक्ति व देवी स्वरूपा माना जाता है, कहा गया है कि- "यत्र नारी पूज्यन्ते, रम्यते तत्र देवता।" मतलब जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ पर देवताओं का वास होता है। बिना नारी वाले घर को भूतों का डेरा बताया गया है, और कहा गया है "बिन घरनी घर भूत का डेरा"।ऐसी मान्यता है कि जिस घर में नारी का आदर सम्मान नहीं होता है वहाँ पर लक्ष्मी का निवास नहीं होता है इसके बावजूद नारी आदिकाल से उपेक्षित होती चली आ रही है जबकि समय-समय पर इसकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
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