प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे घनश्याम नाम का एक राजा रहता था । उसका एक पुत्र था जो बहुत ही आलसी था । राजा के पुत्र का नाम मुलचंद था । राजा को लगता था की अगर मै मर जाउगा तो मेरे पुत्र का क्या होगा । पर राजा की रानी कहती की यह तो अभी बच्चा है इसी कारण से ऐसे आलसी है । जब बडा होगा तब अपना काम सम्भाल लेगा तब अपने आप ही सम्भल जाएगा ।
इस तरह से कह कर रानी राजा को चुप करा देती थी । एक दिन राजा ने सोचा की अगर इसे शिक्षा लेने के लिए गुरुकुल मे भेज देगे तो यह अपना आलस छोड देगा और साथ ही इसे शिक्षा लेनी भी जरुरी है । ऐसा सोचकर राजा ने उसे गुरुकुल मे भेज दिया था । राजा के पुत्र को पसन्द नही था की वह महल को छोडकर एक कुटिया मे जाकर शिक्षा ले ।
दोस्तो अगर कोई कुछ काम करता है और बाद मे उस काम के कारने के कारण पछताता है और सोचता है की मुझे वह काम नही करना चाहिए था । या फिर कुछ लोग ऐसे भी होते है जो पहले तो कुछ काम नही करते और जब उन्हे जरुरत होती है तो वह काम करना शुरु करता है ।
जब वे काम पहले न कर कर समय बित जाने पर करते है तो उनसे काम नही होता और वह पछताते है । इसी तरह के कार्य करने व न करने के कारण जो लोग पछताते है उनके लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।