Answer:
8064-163 अगर ताल्लुक हो तो रूह से रूह का हो,
दिल तो अक्सर एक दूसरे से भर जाते हैं।
मुझ को मज़ा है छेड़ का दिल मानता नहीं,
गाली सुने बगैर सितमगर कहे बगैर।
कौन सी बात नई ऐ दिल-ए-नाकाम हुई,
शाम से सुबह हुई सुबह से फिर शाम हुई।
जिद भी की दिल ने तो इश्क करने की,
आज कहता है कि तूने मुझे रोका भी नहीं।
- via bkb.ai/shayari