Answer:
घन घोर तिमिर फैला उर में, मन के अन्दर एक दीप जला।।
है दीपों का त्यौहार दीवाली,
आज तिमिर का काम नहीं।
कोने-कोने में दीप जले,
रहे आज तिमिर का नाम नहीं।
अब ढूंढ तिमिर को दूर करो, तन-मन अपना करलो उजला
घन घोर तिमिर फैला उर में, मन के अन्दर एक दीप जला।।
जीवन को सत्य सार्थक कर,
सारे जीवों से प्रेम बढ़ा।
प्रभु ने सारी ही सृष्टि को,
कितनी इच्छा मेहनत से गढ़ा।
प्रभु की सृष्टि को रोशन कर, कर श्रेष्ठ कोई तो काम भला
घन घोर तिमिर छाया उर में, मन के अन्दर एक दीप जला।।
इक दीप जले ऐसा जिससे,
उर का अंध्यिारा दूर भगे।
सब जग में उजियारा पफैले,
मन का कलुषितपन दूर हटे।
हो दूर विकार सभी मन के, ऐसा कोई संयोग मिला।
घन घोर तिमिर छाया उर में, मन के अन्दर एक दीप जला।।
Explanation:
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