आपका मित्र छात्र परिषद का सरस्य चुना गया है, उसे बधाई देते हुए 120 शब्द में पत्र लियिए|​

  • drugie-predmety

    Subject:

    Hindi
  • Author:

    brent
  • Created:

    1 year ago

Answers 1

Answer:

इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं-खंड ‘क’ और खंड ‘ख’

सभी प्रश्न अनिवार्य हैं, यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए।

लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।

खण्ड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।

खण्ड ‘ख’ में कुल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

खण्ड – ‘क’

(पाठ्य पुस्तक व पूरक पाठ्य पुस्तक) (अंक 20)

प्रश्न 1.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए (2 x 4 = 8)

(क) बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है। यशपाल जी के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?

उत्तर:

किसी भी कहानी का ताना-बाना बुनने और उसे सलीके से आगे बढ़ाने के लिए एक विचार, घटनाक्रम, कथावस्तु, पात्र और पात्रों द्वारा किए गए संवाद का होना अति आवश्यक है। इन्हीं के आधार पर कहानी को आगे बढ़ाया जा सकता है। सिर्फ लेखक की इच्छा से ही कहानी नहीं लिखी जा सकती; मैं लेखक के इस बात से पूर्ण सहमत हूँ। वास्तव में यशपाल जी का यह कथन आजकल के लेखकों पर व्यंग्य है।

(ख) फादर बुल्के एक संन्यासी थे; परंतु पारम्परिक अर्थ में हमें उन्हें संन्यासी क्यों नहीं कह सकते?

उत्तर:

वे परंपरागत ईसाई पादरियों और भारतीय संन्यासियों से भिन्न थे। वे संकल्प से संन्यासी थे मन से नहीं। उनका जीवन नीरस नहीं था। व्यवहार और कर्म से संन्यासी होते हए भी वे अपने परिचितों के साथ गहरा लगाव रखते थे। वे सभी के परिवारों में आते जाते थे, उत्साह के साथ समारोहों में भाग लेते थे और पुरोहितों की तरह आशीष भी देते थे। दुःख की स्थिति में वे लोगों को सांत्वना देते थे, सहानुभूति प्रकट करते थे। आत्मनिर्भरता के उद्देश्य से कॉलेज में अध्ययन एवं अध्यापन भी करते थे। इस प्रकार वे परंपरागत संन्यासी से भिन्न थे।

(ग) लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से यह महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं

उत्तर:

जब लेखक ने सेकंड क्लास के डिब्बे में प्रवेश किया तो वहाँ पहले से बर्थ पर पालथी मारे बैठे नवाब साहब के चेहरे पर असंतोष का भाव छा गया। उन्होंने लेखक से बातचीत करने की कोई कोशिश नहीं की। वे खिड़की से बाहर देखते हुए लेखक को न देखने का झूठा प्रदर्शन करते रहे। इससे लेखक को महसूस हुआ कि नवाब, उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं है।

(घ) फादर कामिल बुल्के के भारत-प्रेम पर प्रकाश डालिए।

उत्तर:

संन्यास लेते समय फादर द्वारा भारत जाने की शर्त रखने से यह बात स्पष्ट होती है कि उन्हें भारत से बहुत लगाव था। जहाँ लगाव होता है वहाँ प्रेम की उत्पत्ति स्वतः ही हो जाती है। फादर बुल्के का भारत से लगाव स्वाभाविक ही था। संन्यासी हो जाने की भावना मन में आने के बाद ‘प्रभु की इच्छा’ मानकर ही उन्होंने भारत आने का निर्णय लिया। उन्होंने हिन्दी विषय में शोध कार्य व सदैव हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने के पक्षधर रहे।

Explanation:

hp it hlps ☺️✌️☺️

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