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HindiAuthor:
richardsonCreated:
1 year agoAnswer:
इन तत्वों के कमी से शरीर में कुपोषण के लक्षण पैदा हो जाते है। भारत जैसे विकासशील देश में कुपोषण की समस्या बहुत ही जटिल है। हमारे देश की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा, विशेषकर महिलाएँ एवं बच्चे कुपोषण की विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हैं। एक तिहाई बच्चे कम वजन के पैदा होते है तथा 60 प्रतिशत बच्चे खून की कमी से प्रभावित हैं। विटामिन ‘ए’ की कमी के कारण भी प्रतिवर्ष लगभग 20,000 बच्चे प्रभावित होते है। कुपोषण की समस्या गरीब एवं निम्न अर्थिक स्तर के लोगों में ज्यादा पायी जाती है। हमारे देश में एक हद तक लोगों को खाद्यान्य दाल एवं तेल से कार्बोहाइडेट्स, प्रोटीन और वसा तो उपलब्ध हो जाती है परन्तु विटामिन एवं खनिज लवणों की कमी बनी रहती है। कुपोषण की समस्या विटामिन एवं खनिज लवणों की कमी से ही अधिक होती है और इसे दूर करने के लिए आहर में सब्जियों एवं फलों का एक निर्धारित मात्रा में सम्मिलित होना बहुत जरूरी है। इनसे हमे खाद्य रेशा, खनिज लवण एवं विटामिन के साथ-साथ कार्बोहाइड्रेटस, प्रोटीन और वसा तत्व प्राप्त होते है जो अन्य से नही मिलते। इसलिए सब्जियों एवं फलों को रक्षात्मक भोजन का नाम दिया गया है। भोजनशास्त्रियों एवं वैज्ञानिकों के अनुसार हमारा भोजन संतुलित तभी होगा जब प्रत्येक वयस्क अपने आहार में 300 ग्राम सब्जियों (100 ग्रा. पत्तेदार, 100 ग्रा. जड़ तथा 100 ग्रा. अन्य) एवं 65-80 ग्रा. फलों का सेवन करें। हमारे देश में शाकाहारी लोगों की संख्या अधिक हैं जिसके कारण हम अपने भोजन में सब्जियों की मात्रा बढ़ा सकते है।
Author:
maryciuz
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