Subject:
HindiAuthor:
jalenflemingCreated:
1 year agoExplanation:
पुस्तकालय विहीन विद्यालय व्यक्ति विहीन समाज है। कहने का तात्पर्य यह है कि जिस प्रकार समाज की संरचना व्यक्तियों से ही सम्भव है, उसी प्रकार से विद्यालय का सुचारु संचालन उसके पुस्तकालय से ही सम्भव है। पाठशाला में विद्यालय की पाठ्यक्रम क्रियाओं को उचित पर्यावरण मिलता है। इस पर्यावरण का स्रोत पुस्तकालय माना जाता है। पुस्तकालय बौद्धिक और सामाजिक क्रियाओं की अभिवृद्धि का स्थान होता है। यही से बालक के अनुभावों का ज्ञान, मानवीय रूप से बदलता है। पुस्ताकालय नवीन ज्ञान का खोज केन्द्र है। वास्तव में पुस्तकालय एक बौद्धिक प्रयोगशाला है, जहाँ हम अपनी बुद्धि के विकास हेतु सत्प्रयास करते हैं। पुस्ताकलय हमारे मस्तिक को स्वच्छ और पोषक भोजन प्रदान करने वाला भोजनालय है।हमारी शैक्षिक दशा में वृद्धि का केन्द्र यही हैं। किसी भी व्यक्ति के लिए यह सम्भव नहीं है कि वह बहुत सारी पुस्तकों को खरीदकर ज्ञानार्जन कर सके, पुस्ताकलय द्वारा वह सभी पुस्ताकों का अध्ययन कर सकता है। जॉन डीवी ने पुस्ताकालय को विद्यालय का हृदय कहा है।
Author:
lane9sq2
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