Answer:
) व्यापार पर प्रभाव
महामंदी ने भारतीय व्यापार को तुरंत प्रभावित किया। 1928 और 1934 के मध्य भारतीय निर्यात और आयात लगभग आधे रह गए थे। अंतर्राष्ट्रीय कीमतें गिरने से भारत में कीमते गिर गईं। इस अवधि में गेहूँ की कीमते भारत में 50% गिर गई थीं। <br> (b) किसानों पर प्रभाव
गिरती कीमतों का निर्धन किसानों पर बुरा प्रभाव पड़ा। कृषि-उत्पादों की कीमते गिरने के बावजूद उपनिवेशी सरकार ने किसानों के करों में कोई रहत देने से मन कर दिया। विश्व बाजार के लिए उत्पादन करने वाले कृषक बुरी तरह प्रभावित हुए। <br> (i) उनकी ऋणग्रस्तता बढ़ गई। (ii) उन्हें अपनी जमीन बेचनी या गिरवी रखनी पड़ी। (iii) लोगों को सोना और चाँदी जैसी अपनी संपत्ति बेचनी पड़ी (iv) भारतीय पटसन उत्पादन व्यापक रूप से प्रभावित हुए थे। <br> ( c ) शहरी भारतीय पर प्रभाव
महामंदी भारत के शहरी लोगों के लिए अधिक दुखदाई नहीं रही। कीमतें गिरते जाने के बावजूद शहरों में रहने वाले ऐसे लोगों की हालत ठीक रही जिनकी आए निश्चित थी जैसे जमींदार, जिन्हे जमीन पर बंधा -बंधाया भाड़ा मिलता था या मध्यवर्गीय वेतनभोगी कर्मचारी। सभी वस्तुओं के दाम कम देने पड़ते थे। राष्ट्रवादी खेमे के दबाव में उद्योगों की रक्षा के लिए सीमा-शुल्क बढ़ा दिए गए, जिससे औद्योगिक क्षेत्र में भी निवेश में तेजी आई।
Author:
jeremiahzxg0
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2Answer:
भारत का आयात और निर्यात आधा हो गया ।
कृषि उत्पादों की कीमतें गिर गई ।
सामाज्यवादी सरकार ने राजस्व में कोई कटौती नहीं की ।
टाट का निर्यात बंद होने से पटसन की कीमतें गिर गई ।
किसान कर्ज़ में डूब गए ।
Author:
yeseniaiei0
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