Answer:
कहना गलत नहीं होगा कि आज पूरी मानव जाति किसी न किसी तरह के कष्टों से पीड़ित है। तो क्या कहीं से बरस रहे हैं कष्ट? कहां से आते हैं ये कष्ट और क्या है उपाय इनसे बचने का?
लोग दो तरह के कष्टों को सहते हैं। आमतौर पर लोग सोचते हैं कि कष्ट या तो शारीरिक होते हैं या मानसिक। शारीरिक पीड़ा कई कारणों से हो सकती है, पर 90 प्रतिशत मानवीय कष्ट, मानसिक होते हैं, जिसका कारण हमारे भीतर ही होता है। लोग हर रोज़ अपने लिए कष्ट पैदा करते हैं - वे गुस्सा, डरए नफरत, ईर्ष्या और असुरक्षा आदि से ग्रस्त हैं। यही दुनिया में अधिकतर लोगों के लिए पीड़ा का कारण है।
कष्ट की प्रक्रिया को समझना होगा
आखिर मानवता क्यों पीड़ित है? हमें इस प्रश्न का उत्तर पाने के लिए कष्ट की प्रक्रिया को देखना होगा।
हमारे ऊपर कष्ट कहीं से बरसते नहीं हैं, इन्हें हम तैयार करते हैं। और कष्टों के निर्माण की फैक्ट्री आपके मन में है।
आज सुबह, क्या आपने देखा कि सूरज अपनी पूरी आभा के साथ उदित हुआ, फूल खिले, कोई भी सितारा नहीं टूटा, सारे तारामंडल अपना काम सही तरह से कर रहे हैं। सब कुछ व्यवस्थित रूप में, अपने क्रमानुसार चल रहा है। यानी सारा ब्रह्माण्ड बहुत अच्छी तरह कार्य कर रहा है पर कोई एक विचार दिमाग़ में आते ही आपको लगने लगता है कि आपका पूरा दिन बरबाद हो गया।