आप मुक़द्दर के कितने ही बड़े सिकंदर क्यों न हों, आप और आप के जानने वाले सारे लोगों की एक न एक दिन मौत होगी ही.
कुछ मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक़, ये हक़ीक़त अक्सर लोगों के ज़हन में कौंधती और परेशान करती रहती है. इस सच्चाई से ही इंसान चलता है. हमारी रोज़मर्रा की बहुत-सी बातें, जैसे पूजा-पाठ करना, सब्ज़ियां और दूसरी सेहतमंद चीज़ें खाना, वर्ज़िश करना, किताबें पढ़ना और लिखना, नई कंपनियां बनाना और परिवार बढ़ाना, इसी हक़ीक़त को झुठलाने की कोशिश होती हैं.
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