मित्र ही सदैव मित्र के काम आता है। (लघुकथा)
मित्रता एक ऐसा संबंध है। जो बेहद पवित्र होता है। जो सच्चा मित्र होता ह,ै वह हमेशा अपने मित्र के संकट की घड़ी में काम आता है। एक बार दो मित्र राम और श्याम थे।राम सम्पन्न परिवार का था जबकि श्याम बेहद गरीब परिवार का था, लेकिन दोनों में गहरी मित्रता थी। दोनों एक ही विद्यालय में पढ़ते थे। दोनों हमेशा साथ साथ बैठते और हमेशा साथ साथ रहते।
एक बार बहुत दिनों तक श्याम विद्यालय नहीं आया तो राम को बड़ी चिंता हुई। वह श्याम का घर जानता था। 5 दिन तक जब श्याम विद्यालय नहीं आया तो वह श्याम के घर पहुंचा तो पता चला कि श्याम इसलिए विद्यालय नहीं आ रहा था क्योंकि उसने विद्यालय की फीस नहीं जमा की थी और प्रधानाचार्य ने बिना फीस के विद्यालय आने से मना कर दिया था। श्याम के पिता गरीब थे और बीमार के कारण काम पर नही जा पा रहे थे इसलिये उसकी फीस के पैसों का प्रबंध नही हो पाया था।
राम को ये सुनकर बड़ा दुख हुआ। उसने श्याम को उसी समय डांट लगाई कि मुझसे नहीं बोल सकते थे क्या? मित्रता क्या इसलिए होती है कि मित्र संकोच करें? फिर वह तुरंत श्याम को अपने साथ लेकर अपने घर पर गया और वहाँ अपनी गुल्लक में से सारे पैसे निकाले तथा थोड़े पैसे अपनी माँ से लिये और श्याम को विद्यालय की फीस भरने के लिए पैसे दे दिए। श्याम ना नुकर करता रहा लेकिन राम ने नहीं माना और कहा जब तुम्हारे पास हो जाये तो वापस कर देना। सच कहते हैं कि मित्र ही मित्र के काम आता है।