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देश में महिलाओं के उत्पीड़न और यौन शोषण की बढ़ती घटनाएं आज चिंता का विषय बन गई है। समय-समय पर महिलाओं की सुरक्षा और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए विशिष्ट परामर्श तो जारी किए जाते हैं, लेकिन राज्य पुलिस एवं कानून अनुपालन एजेंसियों की ओर से इसका पूरी तरह से पालन नहीं किया जा रहा है।
महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध गंभीर चिंता का विषय हैं। कुछ सामाजिक विश्लेषकों का मानना है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के अधिक मामले इसलिए भी सामने आए हैं क्योंकि एफआईआर की संख्या बढ़ी है। लोग अधिक संख्या में रिपोर्ट दर्ज कराने सामने आए हैं और पुलिस ने अधिक संख्या में ऐसे मामलों की जांच का कार्य पूरा किया है जिससे मद्देनजर दोषियों को दंडित भी किया गया है।
इस मामले में सरकार का पक्ष यह है कि वह महिलाओं की सुरक्षा के बारे में काफी सजग और चिंतित हैं। वह समय-समय पर राज्य सरकारों को परामर्श जारी करती है और सख्त दिशानिर्देश भी जारी करती है कि बलात्कार संबंधित मामलों की जांच और सुनवाई किस प्रकार की जाए।
लोगों की नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि राज्य पुलिस, जजों और कानून अनुपालन एजेंसियों की ओर से इन दिशानिर्देशों का पूरी तरह से पालन नहीं किया जाता है। राज्यों को जारी परामर्श में महिलाओं के प्रति अपराध में सभी मामलों की प्राथमिकी दर्ज करने में किसी प्रकार का विलम्ब नहीं करने, पीड़िता की तुरंत चिकित्सा जांच करने, अभियुक्तों को तत्काल गिरफ्तार करने, जांच पड़ताल की गुणवत्ता में कोई विलम्ब किए बिना तीन महीने के अंदर आरोप पत्र तैयार करने का दिशा निर्देश हैं।
प्रत्येक पुलिस थाने में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध डेस्क और सभी पुलिस थाने में महिला प्रकोष्ठ बनाने, रात्रि पालियों में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा की विशेष व्यवस्था, यौन उत्पीड़न मामलों की सुनवाई महिला जजों से कराए जाने आदि का उल्लेख किया गया है। अगर इन दिशा निर्देशों का ठीक ढंग से पालन किया जाता है तो उनकी पीड़ा थोड़ी कम जरूर होगी। जरूरत इस बात की है कि सरकार और कानून अनुपालन एजेंसियों से इन दिशा-निर्देशों पर अमल करे।