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भारतीय गीत, संगीत भारतवर्ष की पहचान है | यह प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक और मार्गदर्शक रहा है |गीत, संगीत ने धार्मिक एवम सामजिक ढांचे को विकसित करने का भी काम किया है |इसने हमे अध्यात्म से जोड़कर रखा है | भारतवर्ष में गीत,संगीत प्राचीन काल से ही विकसित है इसका प्रारम्भ अगर जाने तो धर्मग्रंथों के मुताबिक वैदिक काल के पूर्व से है | गीत और संगीत का मूल स्रोत्र वेदों को माना गया लेकिन लेकिन यह वेद में लिखित नहीं है | भारतवर्ष प्राचीन काल से ही कई सभ्यताओं के विकास की भूमि रही है जिसमे मौर्य संस्कृति, विजयनगर साम्राज्य, खिलजी, मुग़ल सल्तनत और भी कई लेकिन इन सभ्यताओं के उत्थान के बीच गीत, संगीत हमेशा समृद्ध ही हुयी |आज गीत, संगीत ने भारत को पूरी दुनिया में एक विशिष्ट और अलग पहचान दी है तथा हर स्तर पर, हर वर्ग के लोगों को अपनी और आकृष्ट किया है |
आज भारतीय गीत, संगीत की मधुरता पूरी दुनिया में चर्चित है | विश्व में जहाँ हर तरह की गीत, संगीत चाहे वेस्ट्रन,अरबी या अन्य लेकिन इन सब के बीच जो आयाम, लोकप्रियता भारतीय गीत संगीत को मिली वह अद्वितीय है | आदिकाल से अब तक गीत, संगीत हमारे परम्परा, संस्कार, रिवाज़ के उत्थान और तरक्की के गवाह रहें हैं | गीत, संगीत इंसान के लिए प्रकृति का एक अनूठा वरदान है, यह एक अद्भुत उपहार है जो सिर्फ गिने चुने लोगों को ही मिलता है | गीत, संगीत दुर्लभ कला है और यह माता सरस्वती का प्रसाद है | रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों की रचना गीत, संगीत के प्रभाव और प्रेरणा से हुई है | भारतीय संगीत के सात स्वर हैं :-सा, रे, ग, म, प, ध, नी | साथ ही भारतीय संगीत को तीन भागों में है, शास्त्रीय संगीत, उपशास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत | सिनेमा में सुगम संगीत का प्रयोग होता है |
भारतीय सिनेमा और गीत, संगीत का साथ आत्मा और शरीर का है | अगर कहा जाये तो दोनों एक दूसरे के पूरक हैं | आज सिनेमा की अप्रत्याशित सफलता और ऊँचाई में गीत, संगीत का ही विशेष योगदान है | सिनेमा जो आज नये सफलता का इतिहास रच रहा है इसका एक बड़ा कारण गीत, संगीत है |भारतीय सिनेमा में संगीत का पुराने समय से ही महत्वपूर्ण स्थान रहा है |
हम यह जानते हैं की 1913 से भारत में फिल्मो का निर्माण शुरू हुआ लेकिन इसे लोकप्रियता और पहचान आजादी के बाद मिली | इस दौर में फ़िल्में ब्लैक और वाइट निर्मित होती थी | 1952 में निर्मित फिल्म आन भारत की पहली कलर फिल्म थी जो एक अपवाद फिल्म थी ब्लैक एंड वाइट के बीच | उस सुनहरे दौर में नौशाद, स. डी. बर्मन, मोहम्मद ज़हूर खय्याम, हसरत जयपुरी, मजरूह सुल्तानपुरी जैसे गीतकार और संगीतकार थे जिनके लिखे गीत और स्वरबद्ध किये संगीत को बॉक्स ऑफिस पर सफलता की गारंटी माना जाता था | हिंदी सिनेमा में पहला अवार्ड संगीत के लिए नौशाद ने 1954 में बैजू बावरा फिल्म के लिए जीता | उस दौर की फिल्मे अदाज़,आन, अनमोल घडी, कोहिनूर, शारदा, दीवाना जैसी अनगिनत फिल्मों के साथ सदी की महान चर्चित फ़िल्में मदर इंडिया और मुग़ल-ए-आजम का भी मधुर संगीत नौशाद ने ही दिया था | तब गीत और संगीत फिल्म के बेहद ज़रूरी हिस्सा होता था, और यह फिल्मो के कामयाबी के लिए मत्वपूर्ण था | भारतीय सिनेमा में संगीत के तरह गीत भी अनमोल है | भारीतय सिनेमा में गीत के लिए प्रथम फिल्मफेयर अवार्ड गीतकार शैलेन्द्र ने 1959 में जीता |
फिर (1970’s) का दशक आया और इस समय तक गीत, संगीत की भारतीय सिनेमा पर मजबूत पकड़ हो गयी थी और तब फिल्मों की लोकप्रियता चरम सीमा पर थी और ये गीत तथा संगीत के कारण ही था | इस दशक से (1990s) तक आनंद बक्शी, इंदीवर, नीरज, वर्मा मालिक, गुलजार, कल्याणजी -आनंदजी, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, राजेश रौशन, रविंद्र जैन, शिव कुमार शर्मा-हरी प्रसाद चौरसिआ जैसे गीतकारों और संगीतकारों का दौर रहा | इन महान गीतकारों और संगीतकरों ने अनगिनत फिल्मो को अपने कला से नवाजा, जिसमे जॉनी मेरा नाम, सच्चा जूठा, धर्मात्मा, कटी पतंग, रोटी, अमर,अकबर अन्थोनी, बॉबी, सत्यम सीवम सुंदरम, मुक़दर का सिकंदर, शराबी, दोस्ताना, डॉन, सौतन, प्रेम रोग, क़ुरबानी, चांदनी जैसी कई बेहतरीन फ़िल्में हैं जिनके गीत आज भी सदाबाहर हैं और सुने जाते हैं |